विदेशी बाजारों के साथ साथ भारत के लोकल बाजारों में भी गोल्ड की रफ्तार में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. मंगलवार को सोने की कीमतों में 5000 रुपए से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला. जबकि मौजूदा महीने के 9 दिनों में गोल्ड की कीमत में 9 हजार रुपए से ज्याादा का इजाफा देखने को मिल चुका है. इसका मतलब है कि दिल्ली में गोल्ड के दाम में करीब 9 फीसदी की तेजी देखी जा चुकी है. जानकारों की मानें तो अमेरिका में रोजगार के वीक आंकड़ों की वजह से ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं बढ़ गई है. जिसकी वजह से डॉलर इंडेक्स 7 महीनों के लोअर लेवल पर पहुंच गया है.
जिसका असर सोने की कीमत में इजाफे के रूप में देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर ग्लोबल ट्रेड टेंशन, गोल्ड ईटीएफ में लगातार निवेश की वजह से भी सोने की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक गोल्ड की बाइंग कर रहे हैं. जिसकी वजह से डिमांड बढ़ी हुई है. इसका असर भी सोने की कीमतों में जारी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर देश की राजधानी दिल्ली में सोने की कीमत कितनी हो गई है.
दिल्ली में रिकॉर्ड लेवल पर सोना
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोने की कीमतें 5,080 रुपए बढ़कर 1,12,750 रुपए प्रति 10 ग्राम के लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गईं. अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना सोमवार को 1,07,670 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. चांदी की कीमतें भी मंगलवार को 2,800 रुपए बढ़कर 1,28,800 रुपए प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गईं. पिछले बाजार सत्र में यह कीमती धातु 1,26,000 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी.
सितंबर में कितना महंगा हुआ सोना?
चालू कैलेंडर वर्ष में इस कीमती धातु की कीमतों में 33,800 रुपए प्रति 10 ग्राम या लगभग 43 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 31 दिसंबर, 2024 को 78,950 रुपए प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 1,07,670 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुँच गई. खास बात तो ये है कि सितंबर के महीने में गोल्ड की कीमतों में करीब 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. 9 दिनों में सोने की कीमतों में 9000 रुपए से ज्यादा का इजाफा देखा जा चुका है. अगस्त के आखिरी कारोबारी दिन गोल्ड की कीमत 1,03,670 रुपए प्रति दस ग्राम देखने को मिली थी.
विदेशी में भी गोल्ड तोड़ रहा रिकॉर्ड?
ग्लोबल मार्केट की बात करें तो सोना मंगलवार को 3,659.27 डॉलर प्रति औंस के लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गया. बाद में यह कीमती धातु 16.81 डॉलर या 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3,652.72 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी. व्यापारियों ने कहा कि पिछले सप्ताह अमेरिका में श्रम बाजार के कमजोर आंकड़ों ने मौद्रिक नीति में ढील की संभावना बढ़ा दी है, जिससे निवेशकों का रुझान सोने जैसी सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की ओर बढ़ा है. डॉलर में गिरावट ने सर्राफा कीमतों में तेजी को और बल दिया. मंगलवार को सोने की कीमतें एक और रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गईं, इस साल के कई लाइफ टाइम हाई के लेवल दर्ज किए और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में 35 फीसदी से ज़्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
क्यों आ रही है सोने की कीमत में तेजी
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत मांग, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड में निवेश और ब्याज दरों में कटौती की अटकलों ने कीमती धातुओं में इस रिकॉर्ड तोड़ तेजी को बढ़ावा दिया है. गांधी ने आगे कहा कि सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की लगातार माँग बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के कारण है, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंताओं ने भी इस तेजी में योगदान दिया है. कोटक सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च की एवीपी कायनात चैनवाला के अनुसार, बाजार सहभागी इस सप्ताह के अंत में आने वाले अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों पर कड़ी नज़र रखेंगे, जो चौथी तिमाही में ब्याज दरों में कटौती की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि इससे सितंबर में होने वाली कटौती की उम्मीदों में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है.
सिर्फ डॉलर ही नहीं असल वजह
ब्रोकरेज फर्म ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी ने कहा कि ग्लोबल मार्केट्स में पीली धातु 3,659 डॉलर प्रति औंस के आसपास मंडरा रही है, जो नए रिकॉर्ड बना रही है. यह उछाल सिर्फ अमेरिकी फेड के आशावाद की प्रतिक्रिया मात्र नहीं है, बल्कि यह व्यापक कारकों का एक आदर्श मिश्रण है. फेड (फेडरल रिज़र्व) द्वारा अगली तिमाही में ब्याज दरों में दो से तीन बार कटौती किए जाने की व्यापक उम्मीद है, जिससे रियल यील्ड कम होगा और सोने की अपील बढ़ेगी. त्रिवेश डी ने कहा कि डॉलर के प्रभुत्व पर दबाव पड़ रहा है क्योंकि केंद्रीय बैंक लगातार अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड से अलग अपने भंडार में विविधता ला रहे हैं. यह प्रवृत्ति तीन साल से भी ज़्यादा समय से जारी है. उन्होंने आगे कहा कि, रूस-यूक्रेन वॉर के विस्तार से लेकर बढ़ते टैरिफ खतरों तक, लगातार बने रहने वाले भू-राजनीतिक जोखिमों के साथ, सेफ हैवन असेट्स की बुनियादी खरीदारी और भी मजबूत हो गई है.